Sunday, January 26, 2025

#H361 जनतंत्र (Democracy)

#H361
जनतंत्र (Democracy)

स्वराज अभी तक, कहां मिल पाया ।
नाम का लोकतंत्र है, अब तक पाया
यह तो लूट तंत्र है, धन तंत्र है ।
सांठगांठ से चलने वाला एक यंत्र है ।
नेताओं और सेठों को ही, चलाना आया।

चांद और मंगल तक, हमने पहुंच बढ़ायी।
विश्व पटल पर भी काफी नाम कमाया।

किया बहुत कुछ है अब तक
पर वो ना काफी ही पाया।
विकास बढ़ा ही बेढंगा हुआ।
एक तरफ हैं हाईटेक सुविधाएं।
दूसरी और
मूल सुविधाओं से भी वंचित पाया।

75 वर्षों के बाद भी
सड़क, पानी, नालियां,
बिजली, खाना, शिक्षा ,
चिकित्सा , महिला सुरक्षा से
देश आगे नहीं बढ़ पाया।
इन सब सुविधाओं में भी
हर जगह अभाव ही पाया।

शिक्षा को इतना महंगा बनाया।
इलाज बेतहाशा मंहगा पाया।
सरकारी सुविधाओं में
गुणवत्ता का अभाव ही पाया ।
निजी क्षेत्र की सुविधाओं पर भी
सरकारों का कोई अंकुश न पाया।

दिखलाते हो सब कुछ अच्छा।
पर सच कभी नहीं बताते हो ।
सरकार बनाने के लिए हर बार
मतदाताओं को भटकाते पाया।

भ्रष्टाचार है चारों तरफ छाया ।
जातिवाद, धर्म, भाई भतीजावाद
हर स्तर पर,
इसने बेड़ा गर्क कराया।

मतदाता को नेताओं द्वारा
पैसों से खरीदता पाया।
मदिरा घर तक पहुंचाते पाया।
मतदाता हर बार
नेताओं के झांसे में आया
फिर कैसे कहें हम
जनता ने जनतंत्र चलाया।

देश के लिए एकबार फिर से
भ्रष्टाचार से मुक्ति लिए
मुक्ति अभियान चलाना होगा।
खुद पर संयम और
भ्रष्टाचार मिटाना होगा।
शहीदों के बलिदान को
सम्मान देना होगा।
हर घर से सुभाष, भगत जगाना होगा।

मतदाताओं को लालच,
डर से आगे बढ़ना होगा।
कर्तव्य निभाना होगा।
हक के सवाल उठाना होगा।
जनतंत्र हाथ में लेना होगा।
गणतंत्र को मजबूत बनाना होगा।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 25 जनवरी 2025,©
रेटिंग 9.7/10

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