#H359
मुफ्त (Free)
चुनाव में नेता बोले
ले लो मुफ्त, वो लेलो मुफ्त ।
पानी, बिजली, शिक्षा ,
बस यात्रा,राशन, ईलाज मुफ्त ।
पुजारी, मौलवी, ग्रंथी,
सबका वेतन होगा मुफ्त।
अगर लाए मेरी सरकार।
कर दूंगा हर चीज चुस्त।
हर दल हो जाए सुस्त ,
जब आगे आए मुफ्त।
केवल मत पाने की होड़ है।
किए विकास पर तो
केवल मुंह से बहुत जोर है।
असल में सब दल निकले सुस्त।
मुफ्तखोरी बन गयी,
एक गम्भीर रोग है।
देश को कर रही कमजोर है।
सब दलों का इस पर बड़ा जोर है।
हर तरफ बड़ा शोर है
आवाज लगाएं ,ये भी लेलो मुफ्त।
मुफ्तखोरी कहां तक जाएगी
देश को कितना और सताएगी
ऐसे ही मुफ्तखोरी बढ़ती रही।
तो देश का बेड़ा गर्क करवाएगी।
जनता इससे हो जाएगी सुस्त।
करदाता सब देख रहा है
देखता ही रह जाएगा
कर के बदले कोई सुरक्षा नहीं पाएगा।
बंटती रेवड़ियां देखते हुए होता त्रस्त।
मुफ्त - मुफ्त के चक्कर में
एक दिन हमारा देश
आर्थिक संकट में आ जाएगा।
नेताओं का कुछ नहीं जाएगा।
पैसे वाला विदेश भाग जाएगा।
पर आम आदमी यहीं रह जाएगा।
तब समझ आएगा
कितना महंगा होता है लेना मुफ्त।
नासमझ गुहार लगाए।
सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान, अब लेना होगा
मुफ्तखोरी पर रोक लगाना होगा।
कठोर फैसला लेकर
अब देश को मुफ्तखोरी से बचाना होगा।
नेताओं पर लगाम लगाना होगा।
मुफ्तखोरों को मुफ्त से करना हो मुक्त।
चुनाव आयोग को भी
अपना रोल निभाना होगा।
मुफ्त के नारे लगाने वालों को
चुनाव लड़ने से करना होगा, मुक्त।
मतदाताओं को भी
अपना विवेक लगाना होगा।
मुफ्तखोरी से देश बचाना होगा।
देशभक्ति को दिखाना होगा।
बच्चों का भविष्य बचाना होगा।
मुफ्तखोरी से खुद होना होगा मुक्त।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 23 जनवरी 2025,©
रेटिंग 9.5/10
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