#H355
सब कुछ, सबको पता है। (Everything, everyone knows)
सब कुछ, सबको पता है।
मेरे पास, कुछ भी नया नहीं है।
यह सब साधु वचन है।
जो धारण कर पाओ।
वहीं तेरा धर्म है।
बाकी सब भ्रम है।
धर्म दया है। धर्म कर्म है।
मोक्ष यहीं है। परलोक भ्रम है।
मानव और जीव की सेवा ही
यही मोक्ष का द्वार है।
साक्षात मुक्ति यहीं है।
पूजा करना भी एक करम है।
बुजुर्गों का सम्मान भी नेक कर्म है।
अनुशासन पाने का यही मर्म है।
बच्चों में अनुशासन लाओ।
उनको शिक्षित खूब बनाओ।
यह मां बाप का प्रथम कर्म है।
जिसको जो बनना है।
किस्मत है उसकी
उसके कर्म हैं।
मां बाप का चिन्ता करना,
पूरा अधर्म है
बिन अनुशासन तेरा
पूरा जीवन अधर्म है,
सब मायाजाल है।
जीवन को जीने के लिए
अनुशासन सबसे बड़ा धर्म है।
तेरा सबसे बड़ा कर्म है।
सब कुछ, सबको पता है।
दोहराना भी साधु कर्म है।
"नासमझ" का भी यही धर्म है।
जो पता नहीं है, वो अथाह है।
फैला है सूक्ष्म से ब्रह्मांड तक ,
वो पहले से वेदों में लिखा है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 18 जनवरी 2025,©
रेटिंग 9/10
#H475 7 मासूम (7 Innocents)
#H475 7 मासूम (7 Innocents) पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई, सात मासूमों की जान चली गई। स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई। घरों में घनघोर अंधेरा क...
-
#H054 नया सवेरा (New Dawn) विदाई को अन्त न समझो। यह तो एक नया सवेरा है। जो जोड़ा है, अब तक तुमने, उसमें नया और कुछ जुड़ जाना है। सीख...
-
#H022 गुरु मार्ग (Teachings) समाज में रहे भाईचारा, एकता,सच्चा धर्म, सेवा, मानवता है, मूल सिद्धांत तुम्हारा । धर्मिक सहिष्णुता और बढ़ाओ।...
-
#H115 तेरा कितना हुआ (Increment) "यह कविता वेतन वृद्धि और पदोन्नति की घोषणा के बाद कर्मचारियों में उत्पन्न मानवीय वातावरण को दर्शाती ...