#H340
संभल (Sambhal)
संभल शहर को ,
संभाल कर रखो।
बार - बार न लहू बहने दो।
अब और किसी शहर को ,
संभल न बनने दो।
मुस्लिम को मुस्लिम और ,
हिंदू को हिंदू रहने दो।
माहौल ना बिगड़े कहीं का,
नेताओं की रोटी ,
ना तुम सिकने दो।
भ्रष्टाचार को रोको तुम ।
भ्रष्टाचार को तोड़ो तुम ।
धर्म की चद्दर में,
भ्रष्टाचार न छिपने दो।
मंदिर हो या मस्जिद ,
या हो फिर गुरुद्वारा।
साथ-साथ रहने दो।
हिंदू हो या मुस्लिम ,
सबको मिलकर जीने दो।
विनाशक कोई भी हो सकता ।
हिंदू हो या मुस्लिम ,
भ्रष्टाचार कर सकता है।
आपस में न लड़ने दो।
खून कहीं पर न बहने दो।
सच्चाई को ना भूलो तुम।
साथ - साथ सब रहते आए।
ईद और होली साथ मनाते आए।
साथ - साथ इनको रहने दो।
आतताई को न जीन दो।
कट्टरपंथियों को न बढ़ने दो।
देश को कहीं और ना जलने दो।
देश संविधान से चलने दो।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 02 जनवरी 2024,©
रेटिंग 9/10
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