#H277
एक अक्षर (A Letter)
शब्दों के संसार में,
एक अक्षर से भी
अर्थ का अनर्थ बन जाता है।
सज्जन, दुर्जन बन जाता है।
दोस्त से दुश्मन हो जाता है।
अपना कब पराया हो जाता है,
बहुत देर में समझ आता है।
शब्दों के संसार में
एक अक्षर भी तीर बन जाता है,
सब उल्टा-पुल्टा कर जाता है।
योग्य में "अ" लग जाता है,
अयोग्य बन जाता है।
सब उल्टा हो जाता है।
जब "सु" लग जाता है,
चार चांद लगाता है।
काम में "ना" लग जाता है,
नाकाम बन जाता है।
नाम में "ब" जुड़ जाता है,
बदनाम हो जाता है।
सब उल्टा हो जाता है।
दाई में "जु" जुड़ जाता है,
जुदाई बन जाता है।
जब "वि" लग जाता है,
विदाई हो जाता है।
एक अक्षर
मतलब बदल जाता है।
साईं में "क" लग जाता है,
कसाई बन जाता है।
मतलब बदल जाता है।
यारी में "तै" लग जाता है,
तैयारी बन जाता है,
बिलकुल अलग
मतलब हो जाता है।
चार में "ला" लग जाता है,
लाचार बन जाता है।
"आ" पहले लग जाने से
आचार बन जाता है।
"प्र" लगे पहले तो
प्रचार हो जाता है।
मतलब बदल जाता है।
ऐसे ही उपयोग,
दुरुपयोग बन जाता है।
जब "सद्" लग जाता है,
सदुपयोग बन जाता है,
और अच्छा मतलब कर जाता है।
चोर का मोर हो जाता है,
घोर का घनघोर हो जाता है।
शब्दों का संसार
ऐसे ही चलता जाता है।
शब्दों के संसार में,
एक अक्षर से भी
अर्थ का अनर्थ बन जाता है।
सब उल्टा-पुल्टा हो जाता है,
मतलब बदल जाता है।
शब्दों में अक्षर का प्रयोग
हमें सतर्क रहने को कहता है।
ईमान का बेईमान हो जाता है,
झगड़ा करवा जाता है,
इज्जत दांव पर लगाता है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 21 अक्टूबर 2024,©
रेटिंग 9/10