#267
मैं आलू हूँ। ( I am Potato)
मैं आलू हूँ।
मिट्टी के अन्दर रहता हूँ।
यदि मिट्टी से ऊपर आया
फिर हरे रंग का हो जाता हूँ।
खाने वाले से,
फिर दुत्कारा जाता हूँ।
गोल, व अंडाकार मैं होता हूँ।
अपने ऊपर कई आंखें में रखता हूँ।
भूरा या लाल रंग का होता हूँ।
हर मौसम में मिलता हूँ।
बीज बिना मैं उगता हूँ।
छोटा हूँ तो सस्ता बिकता
बड़ा हुआ तो महंगा बिकता हूँ।
कभी कभी अन्दर से
खोखला भी मिलता हूँ।
हर सब्जी का साथी हूँ।
जल्दी से पक जाता हूँ।
कभी कभी
खूब पकाने पर भी नहीं पकता हूँ।
खाने वाले का मूड खराब जाता हूँ।
समोसे में भरा जाता हूँ।
आलू टिक्की भी बन जाता हूँ।
चिप्स और पापड़ बनाकर
भी खाया जाता हूँ।
दम आलू, आलू रायता,
आलू पकोड़े, आलू पंराठा
और कई व्यंजन बन जाता हूँ।
ज्यादा मीठा न होने पर
खाने वाले के मन को हर्षाता हूँ।
खूब ऊर्जा देता हूँ।
मैं आलू हूँ।
हर सब्जी का साथी हूँ।
अमीर गरीब,
सभी की रसोई में मिलता हूँ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 01 अक्टूबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10