#260
सांसारिक चुनौतियां (Worldly Challenges)
नफरत के बाजार में
प्यार की दरकार में
देश की सरकार में
इंसा है किस हाल में।
हर कोई लगा हुआ है
अपने ही व्यापार में।
किससे लेना है, किसको देना है।
क्यों देना है, क्यों लेना है।
लगा हुआ है
अपने ही माया जाल में।
हर कोई लगा हुआ है
अपने ही व्यापार में।
प्यार बिकाऊ है, इस संसार में।
चमक दिखी जिधर ज्यादा
बह जाता है पैसे की धार में।
प्यार नहीं है सच्चा
जो बिक जाये संसार में।
रिश्ते टूट रहें,
इस भौतिक संसार में।
बच्चे पिछड़ रहे हैं।
बच्चे बिछड़ रहे हैं।
पति पत्नी की तकरार में।
घर टूट रहे हैं।
मंहगाई की मार में।
नासमझ भी
समझदार बन जाते हैं।
इस मतलबी संसार में।
अपनों की तकरार में।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 24 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10