#H252
चड्डी (Underwear)
भूखे बच्चे शहर में घूम रहे हैं।
सर्दी में वो ठिठुर रहे हैं।
फटे पुराने पहन रहे हैं।
गर्मी की मार झेल रहे हैं।
बहुत से बच्चे,
बिन चड्डी के घूम रहे हैं।
सब पैसों से इंसा को तोल रहे हैं
संपन्न ठण्ड में
ओढ़ दुशाला घूम रहे हैं।
ये बच्चे ठण्ड में,
छुपने की जगह ढूंढ रहे हैं।
बारिश की मार वो झेल रहे हैं।
सिर ढकने को जगह ढूंढ रहे हैं।
संपन्न बच्चे बारिश में
छाता लेकर,
बारिश का मजा ले रहे हैं।
घर के अन्दर बच्चे बता रहे हैं
चड्डी टाइट है, काट रही है,
छोटी है, बड़ी है, बता रहे हैं।
ये बेचारे तो चड्डी को ही तरस रहे हैं।
बिन चड्डी के बच्चों को
हम सड़क पर घूर रह हैं।
कब तक हम गरीबी दूर करेंगे।
बच्चे बेचारे तन को ढक पायेंगे।
हम सड़क पर बिन चड्डी के
बच्चों को घूमता नहीं पायेंगे।
ऐसा भारत हम कब पायेंगे।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 18 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10