#H237
संतोष (Satisfaction)
"कविता में सब कुछ हासिल होने पर भी हाय हाय करने की प्रवृत्ति को बताया गया है। "
हर चीज हासिल है इन्हें
घर, धन - दौलत, औलाद,
यह जहाँ में हाय हाय किये जाते हैं।
औरों को छोटा, अपने को बड़ा बताते हैं
पैसे की भूख नहीं मिटा पाते हैं।
पैसा कैसा भी हो, लाते जाते हैं।
यह जहाँ में हाय हाय किये जाते हैं।
एक दिन एक कफ़न में विदा हो जाते हैं।
सब कुछ यहीं छोड़ जाते हैं।
फिर क्यों लूट - खसोट,
छल - कपट में जीवन बिताते हैं।
हाय हाय कर जीवन बिताते हैं।
सब कुछ हासिल होने पर भी
सुख से बंचित रह जाते हैं।
संतोष कभी हासिल नहीं कर पाते हैं।
नासमझ को नासमझ बताते हैं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 03 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 8.5/10