#H246
समझदार (Intelligent)
सच को सच समझना ,
बचपना था, नासमझ।
सच को झूठ,
झूठ को सच,
आधा सच बताना,
आधा सच छिपाना,
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।
कब बताना, कब छुपाना
कब दिखाना, कब छुपाना
कब मुस्कुराना, कब आंखें दिखाना
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।
कब रोना, कब रुलाना।
कब बोलना, कब चुप रहना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।
कब रुठना, कब मान जाना।
कब मनाना, कब धमकाना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।
कब गैरों पर भरोसा दिखाना,
कब अपनों का हाथ पकड़ कर चलना।
कब अपनों को अकेला छोड़ जाना,
अपनों पर भरोसा दिखाना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।
कब मांगना, कब देना।
कब खर्च करना, कब बचाना,
बचाया हुआ निवेश करना,
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।
कब विश्वास करना, कब शक करना,
कब जिद्द मानना, कब मना करना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।
कब प्यार करना, कब दुत्कारना।
कब सिर सहलाना, कब थप्पड़ लगाना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।
कब बेज्जती का घूंट पी जाना,
कब बदले का दांव लगाना,
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।
कब खुशी मनाना, कब खुशी छुपाना।
कब दुख जताना, कब दुख छुपाना।
कब दुख मे साथ देना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 सितम्बर 2024,©
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