Thursday, September 12, 2024

#H246 समझदार (Intelligent)

#H246
समझदार (Intelligent)

सच को सच समझना ,
बचपना था, नासमझ।
सच को झूठ,
झूठ को सच,
आधा सच बताना,
आधा सच  छिपाना,
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।

कब बताना, कब छुपाना
कब दिखाना, कब छुपाना
कब मुस्कुराना, कब आंखें दिखाना
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।

कब रोना, कब रुलाना।
कब बोलना, कब चुप रहना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।

कब रुठना, कब मान जाना।
कब मनाना, कब धमकाना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।

कब गैरों पर भरोसा दिखाना,
कब अपनों का हाथ पकड़ कर चलना।
कब अपनों को अकेला छोड़ जाना,
अपनों पर भरोसा दिखाना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।

कब मांगना, कब देना।
कब खर्च करना, कब बचाना,
बचाया हुआ निवेश करना,
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।

कब विश्वास करना, कब शक करना,
कब जिद्द मानना, कब मना करना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।

कब प्यार करना, कब दुत्कारना।
कब सिर सहलाना, कब थप्पड़ लगाना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम
रह गये, नासमझ।

कब बेज्जती का घूंट पी जाना,
कब बदले का दांव लगाना,
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।

कब खुशी मनाना, कब खुशी छुपाना।
कब दुख जताना, कब दुख छुपाना।
कब दुख मे साथ देना।
आ गया तो समझदार बन गये।
वरना आज भी तुम ,
रह गये, नासमझ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 10 सितम्बर 2024,©

रेटिंग 9.7/10

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