#H256
अनुशासन (Discipline)
"कविता में माँ को संपूर्ण व्यकितत्व की जननी के रुप में बताया गया है। "
रोज सुबह मम्मी मुझे उठाती
ब्रश कराती, और नहलाती।
कपड़े पहनाती, बाल बनाती।
नास्ता कराती, लन्च बाक्स भी देती।
मम्मी मुझे क्या सिखाती।
रोज होमवर्क कराती।
स्कूल बैग मुझसे सजबाती।
डिनर कराती, दूध पिलाती।
जल्दी सुलाती। लोरी गाती।
सुबह को जल्दी उठाती।
मम्मी मुझे क्या सिखाती।
मम्मी सबसे मिलकर
अभिवादन करती।
मैं भी नमस्ते बोलता
बड़ों के पैर भी छूता
सबसे मिलकर रहना बतलाती
गलती पर डांट लगाती
माफ़ी भी मंगवाती।
मम्मी मुझे क्या सिखाती।
मम्मी मेरी
पढ़ना सिखाती, लिखना सिखाती।
बोलना सिखाती, नेतृत्व जगाती
समय का महत्व सिखाती।
हौसला बढ़ाती, सौम्य बनाती
खेलने को आगे बढ़ाती।
कुछ नया करने को,
सदा हौसला बढ़ाती
साथियों के संग में रहना सिखाती
ढंग से सजना भी सिखाती
ढंग से अपना सामान रखना सिखाती।
मम्मी मुझे बड़े होने पर,
काम आने वाले सारे गुण सिखाती।
मम्मी मुझमें अनुशासन जगाती।
यूनिवर्सिटी प्रबंधन में यही सिखाती।
मम्मी मुझे क्या नहीं सिखाती।
"नासमझ" को भी समझदार बनाती।
एडीसन की माँ भी मुझे याद आ जाती।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10