#H249
गोल (Circle)
"कविता गोल शब्द के ऊपर आधारित है। पहिऐ का आविष्कार मानव सभ्यता की एक बहुत बड़ी खोज है।"
सूरज गोल, चन्दा गोल, दुनिया गोल,
सारे घूमें गोल - गोल।
बतलाता हमको भूगोल।
आंखें गोल,
तना पेड़ का, होता गोल।
बहुत सारे फूल होतें है गोल।
फिर क्यों न भाऐ हमको गोल।
लडडू बोलो तो दिमाग आऐ गोल - गोल।
रसगुल्ले भी होते गोल।
खाने वाला बन जाऐ गोल मटोल।
सिक्के होते गोल
चलते हैं अनमोल।
कैरम की गोटियां होती गोल।
न टिकती हैं एक ओर।
गेंद होती चारों ओर से गोल।
घूमें हर बार गोल - गोल।
बिना गोल तेरा जीवन है गोल।
जब से मानव ने जाना गोल।
चारों ओर जीवन का
बदल गया है मोल।
साइकिल का पहिया घूमे गोल
घर में पंखा घूमे गोल
घड़ी की सुईयां घूमे गोल।
लट्टू भी घूमे गोल
सब घूमे गोल गोल।
धुरी की कीमत है अनमोल।
सिलिंडर की गति होती आगे - पीछे,
पर पिस्टन राड होती, गोल।
रोबोट भी काम पूरा न कर पाऐ
जब तक न घूमे गोल।
दुनिया में सारी गति
हो रही है गोल - गोल।
नर्तक नाचे गोल - गोल।
दुनिया है अनमोल।
वो न चल सके जीवन में
जो न समझे गोल।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 12 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 9.6/10