#223
जब बेटी आगे आयेगी, अपना हक पायेगी। (When the daughter comes forward, she will get her rights)
"कविता में देश में बेटियों पर होने बाले अत्याचार के बारे में सवाल उठाया गया है। "
क्या तू मदर इंडिया बन पायेगी ?
या फिर अपने बच्चों को बचायेगी।
बेटे की पहली गलती,
क्या हंसी में टाली जायेगी ?
जब अपराध करे, बेटा ।
तब क्या बतलायेगी ?
क्या मदर इंडिया बन, गोली तू चलाऐगी ?
या बेटे को बचायेगी।
बेटी को बेटी ही न्याय दिलायेगी।
बेटी ही लूटी गयी हरबार,
बेटी ही कब तक बलिदान देती जायेगी ?
हुआ कुकृत्य तो संस्थान कब समय पर आगे आयेगी ?
कब पुलिस अपना किरदार ढंग से निभाऐगी ?
प्रशासन कब रसूखदार को ,
निस्पक्ष होकर पकड़ वायेगी ?
कब नेताओं को अक्ल आयेगी ?
क्या खुद की बेटी ऐसे संकट मे देखी जायेगी ?
कब पार्टियां आरोप प्रत्यारोप से बाहर आयेगीं ?
कब बेटी देश में सुरक्षित हो पायेगी ?
सरकारों से गुहार हमारी
घटनाओं पर कम बतलाओ,
कम दिखलाओ।
प्रशासन को दुरुस्त करो।
इंटरनेट के कंटेंट पर अंकुश लगओ।
सुधार में ज्यादा समय लगाओ।
अत्याचारी को पीड़ित होता,
जनता को टीवी पर ज्यादा दिखलाओ
समाज में अत्याचारी को
समाज निकाला दिलवाओ
अत्याचारी को आत्महत्या करने को मजबूर कराओ।
दण्ड का एक ऊंचा आदर्श स्थापित कराओ।
लोगों को बेटी पर अत्याचार करने से घबराओ।
तब ही देश की साख बच पायेगी।
और बेटी देश में सुरक्षित हो पायेगी।
बेटों की निगरानी रखनी होगी ।
क्या देखता है, क्या पढ़ता है ?
किसके साथ में रहता है ?
बेटी सम्मान को दिमाग में बिठानी होगी ।
घर में संवादहीनता न पैदा होने दी जायेगी
तब ही बेटी सुरक्षित हो पायेगी
जब बेटी आगे आयेगी,
तब अपने हक को पायेगी
न्याय समाज में पायेगी।
दूसरों से समानता की उम्मीद करेगी
तब तब ठगी जायेगी।
जब बेटी आगे आयेगी,
अपने हक को पायेगी
तब ही बेटी न्याय समाज में पायेगी।
बेटी ने इस कविता की गुहार लगाई।
"नासमझ" ने तब कलम चलाई।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 18 अगस्त 2024,©
रेटिंग 9/10