#H226
अनबन (Rift between Husband and wife)
"कविता में पति पत्नी को अपने रिश्ते को संभाल कर रखने के लिए प्रेरित किया गया है। "
जब लड़का,
लड़की को विवाह कर लाता।
फिर पति - पत्नी कहलाता है
घर में पत्नी को
केवल पति का ही सहारा होता।
पति ही प्यार जताता है।
परिवार तो बस माहौल बनाता है।
परिवार (माँ, पिता, भाई, बहन)
पति - पत्नी का साथ
एक सीमा तक निभाता है
फिर तो भाईयों, बहनों ने
अपना परिवार बनाना होता है ।
सदियों से ऐसा होता आया है।
आगे का जीवन तो
पति - पत्नी के कंधों पर आ जाता है।
काम करो, पैसे बचाओ
घर बनाओ।
इस सबमें कोई साथ नहीं निभाता है।
पैसा है तेरे पास तो तू सबको भाता है।
वरना परिवार भी ठोकर खिलाता है।
ऐसा कोई जोड़ा नहीं होता
जहाँ अनबन न रहती हो।
पर जीवन की गाड़ी को
आगे ले जाया जाता है।
जीवन की राह में
बीच में अलग नहीं हुआ जाता है।
बच्चे, पति - पत्नी के बीच
रिश्ते की धुरी बन जाते हैं
अलग होने से बचाते हैं।
तलाक़ न हो, इसलिए,
अंत समय तक पूरा प्रयास लगाते हैं।
कोई खुद के लिए नहीं कमाता।
बच्चों का भविष्य ही है जो,
तुम्हें काम पर लेकर जाता ।
वरना खाना तो कुत्ता भी खाता।
मालिक के आगे दुम हिलाता।
वो कभी मालिक नहीं बन पाता।
समाज इज्जत नहीं पाता।
बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल जाऐ।
बच्चे कुछ बन जाऐं।
शादी उनकी हो जाऐ।
बस यही जीवन कहलाता है।
सबको मौका देता है ईश्वर।
कोई गंवाता है, कोई फायदा उठाता है
समय पर लिया फैसला तो
समझदार कहलाता है।
वरना इंसान पछताता है
दुनिया में मूर्ख बन जाता है।
यौवन तो जल्दी ढल जाता है।
शक्ति जल्दी जाती रहती ।
बुढ़ापा मुहं फाड़ खड़ा हो जाता है।
फिर तुम से कुछ नहीं हो पाता है।
धौका खाने से अच्छा है ।
समय रहते संभल जाओ ।
वरना इंसान खाली हाथ रह जाता है।
ऐसा कर लेता, वैसा कर लेता,
तो अच्छा रहता।
बस यही मलाल रह जाता है।
जीवन में मौका, फिर वापस नहीं आता है।
संभाल रखो अपने रिश्ते को।
रिश्तेदारों का कुछ नहीं जाता है।
उनको तो अपना परिवार बनाना होता है।
अपना परिवार चलाना होता है।
तुम पिछड़े जीवन में तो
औरों को मजा बहुत आता है।
पति - पत्नी को जीवन भर ,
साथी बनकर रहना होता है।
साथ जिऐ जीवन भर,
फिर अलग होना होता है।
"नासमझ" ने तो बस
यही गुहार लगाना होता है।
देवेन्द्र प्रताप"नासमझ "
दिनांक 21 अगस्त 2024,©
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