#H227
हवा ( Air)
न दिखती है, न रुकती है।
न बिकती है,
हर जीव की शक्ति है।
बस धीमी हो जाती है।
या तेज हो जाती है।
जिसके बिना
जिंदगी कहाँ चलती है।
जब कुछ देर के लिए रुक सी जाती है।
तो त्राहि त्राहि मच जाती है।
श्वांस अधर में आ जाती है।
सोचो यह किस नाम से जानी जाती है।
बादल उड़ने लगते हैं।
पत्ते जब हिलते हैं।
कुछ उड़ने लगता है।
मन में महसूस होता है।
जैसे हवा चलती है।
हल्की सबको अच्छी लगती है
ठण्डी ज्यादा अच्छी लगती है।
गर्म बहे तो लू बन जाती है।
तेज चले तो दरख़्त उखाड़ जाती है।
ऐसी हवा फिर आंधी कहलाती है।
पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ।
अगर स्वच्छ हवा तुम चाहो।
घास लगाओ ।
धूल के लिए जगह न छोड़ो।
सड़क किनारे टाइल्स लगाओ।
वायु प्रदूषण को रोको।
खुले में कुछ न जलाओ।
हवा विषैली होने लगती है
कुदरत पछताने का मौका ,
नासमझ को भी नहीं देती है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 23 अगस्त 2024,©
रेटिंग 9/10