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गोबर (Corruption)
कविता में बताया गया है "गोबर खाया नहीं जाता है। इसी तरह से भ्रष्टाचार करने योग्य नहीं होता है। पर किया जाता है। "
सबने गोबर खाना है
नेता हो, या प्रशासक,
या हो जनता
मौका बस मिलना है
गोबर को चखना है।
इस युग में बस
अपना पैसा ही अपना है।
इमानदारी तो औरों को रटना है
भ्रष्टाचार से चलना है।
भ्रष्ट होने का गोबर सबने चखना है।
बाकी सब सपना है
पैसा कैसा भी हो, पैसा है
अपना पैसा ही अपना है
बाकी सब सपना है।
सबने गोबर को चखना है।
दुनिया के लिए तो
ईश्वर को जपना है।
ईश्वर से डरना है।
पर भ्रष्टाचार को करते जाना है।
सबने गोबर को चखना है।
लाइसेंस फर्जी लेना है
लाइसेंस फर्जी देना है।
फिटनेस फर्जी लेना है
पीयूसी फर्जी मिलना है
सब गोबर से मिलना है।
फायर की एनओसी फर्जी मिलना है
प्रदूषण होता है, सबको दिखता है
लोगों का दम भी घुटता है
प्रदूषण की फाईल में नहीं दिखता है
गोबर से सब छुप जाता है।
फंड चला सड़क को
रोड पर बस गडढे मिलना है
पानी की लाइन बिछी
पर पानी नहीं आना है।
पानी लाऐ, दुनिया को खूब बताना है।
गोबर खूब छितराना है।
बिना माल के फाईल
कहाँ आगे बढ़ना है।
पासपोर्ट में मौका पाना है
सुविधा शुल्क ले जाना है।
गोबर से आगे बढ़ना है।
नीति न घोषित हुई अभी तक
पर अपनों को फायदा देना है।
सरकारी जमीन हड़प जाना है
फार्म हाउस बन जाना है।
जमीनें खरीद कराना है
और मुनाफा ले जाना है।
गोबर में छुप जाना है।
जो कल तक साधारण नेता थे
कल उनको हजार करोड़ी हो जाना है
सरकारों ने जांच कराना है
जेल किसी को नहीं जाना है
बेल पर पूरा जीवन कट जाना है
समय पर जनता को उल्लू बन जाना है
कैसे गरीब को न्याय मिल जाना है।
हर जगह गोबर ही गोबर मिलना है।
ये बस तो लेश मात्र है
यह लिस्ट कहाँ रुकने वाली है
ज्यों ज्यों अन्दर जाना है।
भ्रष्टाचार को तो
मुंह फाड़ खड़ा पाना है।
इसलिए कहता हूँ
भ्रष्टाचार का करते जाना है।
सबने गोबर को चखना है।
"नासमझ" को तो भी
गोबर - गोबर हो जाना है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 27 अगस्त 2024,®
रेटिंग 9/10