#H186
लक्ष्य (Aim)
"कविता में एक परीक्षा में असफल होने से बिचलित न होते हुए कर्म को प्राथमिकता देने के बारे में है। "
परिश्रम तूने किया।
परिणाम के नतीजे,
मनमाफिक न आये।
क्या हुआ,
तूने अपना काम किया।
एक परीक्षा,
नहीं है जीवन।
जीवन में ये
हर योध्दा ने किया।
अफ़सोस न करना ।
सोचो और विचारो ।
क्या रह गया करने से,
जो लक्ष्य हासिल न हुआ।
तू मनुष्य है,
जो न थके, जो न रुके।
न कठिन डगर से डरे
अपनी पर अड़ा रहे।
लक्ष्य हासिल करने तक,
दिन रात लगा रहे।
पर ध्यान रहे, तू करता है,
कर्म तेरा अधिकार।
फल देना है,
ऊपर वाले का अधिकार।
करने में तेरी सदा लगन रहे।
लक्ष्य न मिलने तक डटे रहो।
एक पल न मायूस हो तुम,
फिर से प्रयास करो।
जमकर अभ्यास करो।
परिणाम पर, न ध्यान रहे।
तू कर्ता है, सदैव कर्म प्रधान रहे ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 25 मई 2024,©
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