#H176
हम सबका झूठ (Our Lie)
"कविता में झूठ के बोलने की विभिन्न स्थितियों को दर्शाया गया है। "
बच्चा डर से बोला झूठ
बड़ा लालच में बोला झूठ
सच्चा दिखने को बोला झूठ
झूठा बनकर बोला झूठ
अच्छा बनने को बोला झूठ
छुट्टी पाने को बोला झूठ
उल्लू बनाने को बोला झूठ
फंसाने को बोला झूठ
बचाने को बोला झूठ
धोखा देने को बोला झूठ
लड़ाने को बोला झूठ
कुछ पाने को बोला झूठ
छुपाने को बोला झूठ
बचने को बोला झूठ
मस्का लगाने को बोला झूठ
भविष्य दिखाने को बोला झूठ
काम निकालने को बोला झूठ
मनाने को बोला झूठ
सुन्दर बताने को बोला झूठ
जीवन साथी से बोला झूठ
अपराध छुपाने को बोला झूठ
कई बार भरी अदालत में भी
गवाही दी जाती है झूठ।
खुद से भी बोला झूठ
आज तक मैं नहीं बोला झूठ
यह है सबसे बड़ा झूठ।
झूठे ने सदा नहीं बोला झूठ।
झूठों ने सदा कहा है लोगों से
गलत बात है बोलना झूठ।
नासमझ ने भी बोला है झूठ।
याद करो कब नहीं बोला है तुमने झूठ।
कभी मत बोलो सफेद झूठ।
चेहरे पर कभी दिखाया है तुमने झूठ।
पकड़े जाने पर खूब पिटाया है यह झूठ।
यह है हम सबका झूठ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 18 जून 2024,©
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