#H177
बता मैं कौन हूँ ?
"इस कविता में एक पहेली दर्शायी गयी है ।"
थक गया हूँ मैं, न समझ।
रुक गया हूँ मैं, न समझ।
कल फिर आऊंगा, मैं "नासमझ"।
सब खिल जायेगा।
नियति है इसलिए,
सो गया हूँ, मैं।
बता मैं कौन हूँ ?
सृष्टि की जीवन रेखा हूँ, मैं ।
शक्ति का अपरिमित स्रोत हूँ ।
पेड़ पौधों के भोजन की आस हूँ, मैं।
सब ग्रहों के पाथ का केंद्र हूँ, मैं।
बता मैं कौन हूँ ?
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 05 मार्च 2023,©
रेटिंग 9.5/10