#H172
परीक्षा
"कविता में परीक्षा के लिए संघर्ष, परिणाम और भ्रष्टाचार के बारे में बताया गया है। "
रातों की नींद खोई।
सालों तक परिश्रम किया।
ना कहीं मैं घूमने गया ।
हर चीज का त्याग किया।
बहुत इंतजार के बाद आयी, परीक्षा
मात पिता ने भी नींद खोई।
पेट काट दाखिला लिया।
आस संजोयी,
आई परीक्षा, दी परीक्षा।
परिणाम, चौकाने वाला।
परिणाम बहुत असंगत आये।
लाखों की आंखों में आंसू लाये।
आवेदकों में आक्रोश जगाऐ।
अब धरना भी करवाऐ।
कैसे करवाई, ये परीक्षा।
परिणाम हर बार फंस जाते हैं।
युवा अधर में लटक जाते हैं।
एजेन्सियां परीक्षा कराने में
क्यों विफल हुआ करती हैं।
हाय परीक्षा, कैसी परीक्षा
सरकार को शर्मिन्दगी दे जाती हैं।
भ्रष्टाचारी हर स्तर पर,
युवाओं के भविष्य की,
बलि चढ़ा जाते हैं।
कब तक युवा देता रहे परीक्षा।
हाय परीक्षा, कैसी परीक्षा।
न हो रही है युवाओं की रक्षा।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 11 जून 2024,©
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