Sunday, June 2, 2024

#H161 ठण्डक (Cold)

#H161

ठण्डक (Cold)


"कविता में अमीरों की ठण्डक  पाने की चाहत, गरीबों की जान की दुश्मन बनने के बारे में बताया गया है।"

गर्मी भी दुश्मन हो गयी
गरीब को धोखा दे गयी
कईयों की अभी जान तक ले गयी।

गरीब ठंड में मर जाते थे।
गर्मी के मौसम में मुस्काते थे।
गर्मी को अपना मौसम बतलाते थे।
हर कारज को गर्मी में करवाते थे।

अमीर, गरीब को गर्मी देते
गर्मी में एसी चलाते
पंखे चलाते, कूलर चलाते
गर्मी में ठण्डक पाते।

फ्रीज का ठण्डा पानी पीते।
सड़कों पर गाड़ी दौड़ाते।
वातावरण में गर्मी बढ़ाते,
धरती की गर्मी रोज और बढ़ाते।
गर्मी में मरने को बस,
बेचारे गरीब ही रह जाते।

न पानी पाते, न पंखा पाते
न छाया पाते
पेड़ों को अमीर कटाते
विकास कराने के बहाने बताते
लू लगने से गरीब मर जाते।

नासमझ बस सबसे गुहार लगाते
गर्मी में सिर ढक कर रखो
पानी की बोतल रखो
टाइट कपड़ों को छोड़ो
हो सके तो गर्मी से
हर में ख्याल रखो।
लोग बस अच्छे लगते मुस्काते।


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 31 मई 2024,©

रेटिंग 8/10

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