Wednesday, March 20, 2024

#H093 दूरियाँ (Distances)

#H093

दूरियाँ (Distances) 


तेरे बिन, बच्चों बिन, घर सूना हो गया

न ढंग से खाना खा पाया

न रात को सही से  सो पाया 

न खुल कर हंस पाया,   

न कविता लिख पाया 

न कुछ सोच पाया

गुस्सा करना भूल गया

टकराना भूल गया

बतियाना भूल गया

याद कर बस रो पाया

ऐसा लगा सब खो गया

तड़पता मैं रहा गया

तुम्हारा दूर जाना,

बड़ा खौफनाक हो गया

रातों में करवट बदलता रह गया

उठ उठकर बैठ गया

तेरे बिन, बच्चों बिन, घर सूना हो गया


जीवन नहीं तुम्हारे बिन, पता लग गया

तुम्ही मेरी हंसी हो, तुम्ही मेरी शक्ति हो

अकेले रहना कितना डरावना हो गया

बोलकर भी मैं खामोश रह गया

बच्चों का लड़ना झगड़ना गुम हो गया

कोई आवाज सुनने को तरस गया

तेरे बिन, बच्चों बिन घर सूना हो गया


चन्द दिनों की दूरी ने हिलाकर रख दिया

कभी कभी दूरियाँ जरुरी होती हैं

जिन्होंने मुझे खुद से मिला दिया

तुम्हारे लिए प्यार फिर से जगा दिया

तुम्ही जीवन संगीत होपता चल गया

तेरे बिन, बच्चों बिन घर सूना हो गया


मेरे यार यह न लिखा करो

यों ना वियोग मे  तड़पा करो

यारों को बुला लिया करो

जाम उठा के कुछ लम्हे 

यारों साथ जी लियो करो

हसते हसते जुदाई सह  लिया करो

बीबी कहे जाने को 

बस मुस्करा दिया करो

यारों को बुला लिया करो


जरूरी है दूरियाँ

कद्र प्यार की दिखाती है दूरियाँ

कद्र परिवार की सिखाती हैं दूरियाँ

यारों की याद दिलाती हैं दूरियाँ

बहुत जरूरी हैं दूरियाँ

कभी कभी दूर भी रहा लिया करो


देवेन्द्र प्रताप

दिनांक 27 मार्च 2023 , ©

रेटिंग 9/10


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