#H084
भ्रष्टाचार (Judicial Corruption)
भ्रष्ट है आचार।
धन है इनका आहार।
जनता है लाचार।
भ्रष्ट का हो रहा है बेड़ा पार।
फिर कैसे हो ,
आम जन का उद्धार।
तारीख पे तारीख,
मिल रही है सरकार।
पक्ष - विपक्ष कर रहा व्यापार।
सबूत मिट रहा,
गवाह हट रहा,
न्याय डिग रहा,
भ्रष्ट का सिक्का चल रहा।
कैसे होगा जनता का उद्धार।
जब पैसा हो सबका आधार।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 06 मार्च 2024, ©
रेटिंग 9/10