#H098
सत्ता (Power)
जो मशगूल हैं अपने हरम में
सोचते हैं पैदा हुए हैं,
रहने के लिए, सदा सत्ता में
सोचते हैं बदल देंगे दुनिया
जी रहे हैं इस भ्रम में
जी रहे हैं अपने हरम में
सोचते हैं वो बोलेंगे, लोग मान लेंगे
इसी सोच में मशगूल हैं वो अपने हरम में
जीत को हार में बदल देंगें
जी रहें हैं अपने भ्रम में
जो लोगों से कभी मिला नहीं
लोगों के लिए लड़ा नहीं
उसका जीत का सपना
हकीकत कभी बना नहीं
रण में जो लड़े़, लोगों के लिए खड़े
वो जम्हूरियत में जीतते हैं
जन मानस को हक दिलाते हैं
हरम में जीने वालों का भ्रम तोड़़ जाते हैं
अक्सर हरम में जीने वाले
जयचंद निकल आते हैं
अपने थोड़े से फायदे के लिए
जन मानस का हक मरवा जाते हैं
जन मानस से हम गुहार लगाते हैं
सब मिल कर, हम अपना हक पायेंगे
हरम में जीने वालों को उजागर कर
उनके मुंह की धूल चटायेंगे
लोकतंत्र जितायेंगे , अपना हक पायेंगे |
देवेन्द्र प्रताप, ©
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