#H096
रंग (Colour)
हरे, पीले, सफेद, बैंगनी रंगों से
खेत पूरी तरह से सज चुके हैं।
गेहूँ की लहलहाती, हरी बालियां
खेत में दानों से भर चुकी है।
सरसों की फसल कट चुकी है।
मढ़ने को खेतों में पड़ चुकी है।
हवा में गर्मी आ चुकी है
मौसम कानों में कुछ कह रहा है
अब यहाँ की आबो हवा
गुलाबी हो चुकी है।
बसन्त ऋतु परवान चढ़ चुकी है।
लगता फगवा लग चुका है।
हर रोज खेतों में
सुनहरी बालियां बढ़ रही है
फसल हरे रंग से सुनहरी हो रही है
लगता है हर रोज हवा
फसलों को नया रंग लगा रही है।
होली खेलने को बुला रही है।
रंग गुलाल ले आओ।
गुजिया घर पर बनवाओ।
होली आ चुकी है।
लोगों में मस्ती छा चुकी है।
अपनों संग हंसी खुशी होली मनाओ।
"नासमझ" यह सवाल उठाऐ
कई रंग कुदरत क्यों बनाऐ ।
दुख से सुख में जाने का,
सबको एहसास कराऐ।
सब भूल जीवन में आगे बढ़ जाओ।
ध्यान रहे हर रंग सदा नहीं रह पाऐ।
बदलाव की भाषा समझाऐ।
इसलिए तरह तरह के रंग बनाऐ।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 24 मार्च 2024, ©
रेटिंग 9.5/10