#H089
पदचिह्न (Footprint)
हर जंग का अंजाम जीत हो,
मुमकिन तो नहीं
कुछ राहगीर रास्ते पर
मंजिल के निशान छोड़ जाते हैं, औरों के लिए
हर कोई नेहरू बने मुमकिन तो नहीं
कुछ लक्ष्मी, भगत, आजाद और सुभाष भी होते हैं
जो आजादी दे जाते हैं, औरों के लिए
हर जंग का अंजाम जीत हो, मुमकिन तो नहीं |
लगा लिया गले से फांसी का फंदा जिन्होंने
उनकी इज्जत, शान और से कम तो नहीं
आज भी मेरे घर में, तेरे घर में
इनकी तस्वीरें लगी हैं,
निशां बाकी है हमारे दिल में
हर जंग का अंजाम जीत हो, मुमकिन तो नहीं |
देवेन्द्र प्रताप
©
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