#H087
शक्ति (Women Power)
नारी "शक्ति" यों ही नहीं कहलाऐ।
सुबह उठे सबसे पहले,
और आखिर में सोने जाऐ।
इस सबके बदले में
बस अपना थोड़ा सा सम्मान चाहे।
नारी "शक्ति" यों ही नहीं कहलाऐ।
घर को साफ करे या फिर करवाऐ।
सबसे पहले चाय पिलाऐ,
नास्ता करवाऐ, लंच बनाऐ
सास ससुर की दवाई गोली भी करवाऐ।
प्रसवपीड़ा का दर्द उठाऐ।
तब जाकर वंश बढ़ाऐ।
दफ्तर भी जाऐ।
छुट्टी में भी छुट्टी न कर पाऐ।
घर के खर्चों में ,
बचत करती ही पाई जाऐ।
बच्चों को पढ़ाऐ, स्कूल पहुँचाऐ,
स्कूल से बच्चों को लेकर आऐ।
बच्चों को खेल खिलाने जाऐ।
बच्चों पर अंकुश भी कर पाऐ।
संस्कार देने में पहला रोल निभाऐ।
पति भी अंकुश से कहाँ बच पाऐ।
खुद भी पढ़ाई करती पाई जाऐ।
सदा कुछ अच्छा होने आस लगाए।
बीमार पढ़े अगर,
घर में फिर सब ठप्प हो जाऐ।
हर कोई फिर
समझौता ही करता पाया जाऐ।
चाय पीना भूल जाऐ।
ब्रेड का ही नास्ता
करता पाया जाऐ।
फिर लंच बाहर ही खाये।
फिर भी घरेलू नारी की
वैल्यू कम ही आंकी हो जाऐ।
बीमा कम्पनियां
जीवन बीमा देने से कतराऐ।
"नासमझ" नहीं समझ पाऐ।
सरकार अब तक
सही वैल्यू क्यों नहीं दिलवा पाऐ।
परिवार की खुशी के लिए
सबसे आगे आऐ।
अंत समय होने पर भी
सब अच्छा होने की आस जगाऐ।
अंत समय में भी
पति से पहले जाना चाहे।
ताकि सदा सुहागन रह जाऐ। ।
नारी इसीलिए "शक्ति" कहलाऐ।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 17 फरवरी 2024, ©
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