#H075
जय हो जमादार की (Salute to Sweepers)
कूड़ा लेकर जाते हैं।
झाड़ू भी लगाते हैं।
धूल बहुत वो खा जाते हैं
गली मोहल्ले, घर, दफ्तर में
पौंछा भी लगाते हैं
हमें संक्रमण से बचाते हैं।
अस्पताल में कचरा, पट्टी,
जैविक अपशिष्ट भी हटाते हैं।
कई बार संक्रमित हो जाते हैं
अच्छा जीवन नहीं जी पाते हैं।
दुनिया से जल्दी चले जाते हैं।
मालिक से सुरक्षा दस्ताने नहीं पाते हैं
बगैर मास्क के काम पर लगाऐ जाते हैं।
उठने बैठने का सही जगह नहीं पाते हैं।
यहाँ- वहाँ बैठकर अपना समय बिताते हैं।
सीवर भी खुलवाते हैं
नाले में घुसवाऐ जाते हैं।
हर साल कई सफाई कर्मी
दम घुटने से मर जाते हैं।
मास्क नहीं वो पाते हैं
सुरक्षा का ज्ञान पूरा नहीं पाते हैं।
वेतन बहुत कम पाते हैं।
कई विभागों में वेतन देरी से पाते हैं।
पक्की नौकरी नहीं पाते हैं।
सामाजिक सुरक्षा से बंचित होते हैं।
ठेकेदारी में फंसकर रह जाते हैं।
मरने पर उचित मुआवजा से बंचित रह जाते हैं।
गरीबी में जीवन बिताते हैं।
जो भी लोग गंद हटाते हैं।
"जमादार" कहलाते हैं।
पर जीवन में
कुछ भी जमा नहीं करपाते हैं।
सरकार को इस काम के लिए
पूरा सम्मान और वेतन
देने की हम उम्मीद लगाते हैं।
सब कूड़ा फैलाते हैं।
यहाँ वहाँ छितराते हैं।
खुद को बेहतर बताते हैं।
अनुशासित नहीं हो पाते हैं
कूड़ा फैलाने पर भी नहीं शरमाते हैं।
काश् सब जमादार हो जाते।
धरती को कितना सुन्दर रख पाते।
यहाँ - वहाँ हम फिर कूड़ा न पाते।
कचरा हटाने वाले "जमादार"
फैलाने वालों से कहीं ज्यादा,
अच्छा कहलाने का हक पाते हैंं।
"नासमझ " तो "जय हो जमादार की"।
ऐसी आवाज लगाते हैं।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 11 फरवरी 2024, ©
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