#H070
आदमी खुद का दुश्मन हो गया है (Man become self enemy)
आलस्य छा गया है, बजन बढ़ गया है
बीपी चढ़ गया है, हर जोड़ हिल गया है
सांस फूलने लगा है, सब्र टूट सा गया है
हर जगह घुटन सी हो रही है, धुआँ छा गया है
हर दूसरा आदमी बेसब्र हो गया है
आदमी को यह क्या हो गया है
क्योंकि चाहत बढ़ गया है
कार पड़ोसी से बड़ी हो, बीवी सबसे से गोरी हो
पांच सौ गज का बंगला हो
बैंक में करोड़ों का धन, लाखों का वेतन हो
पांच दिन काम हो, कोई जबाब देही न हो
हों महीने भर की छुट्टियां विदेशी जमीन पर
पाश्चात्य सिर चढ़ गया है
देखो भारतीय कितना गिर गया है
चाहत कितना बढ़ गया है,
दिमाग में सब खोने का डर चढ़ गया है
हर दूसरा आदमी बेसब्र हो गया है
आदमी आदमी से कट गया है
क्योंकि आज आदमी सोसल मीडिया पर जुड़ गया है
हर हाथ को काम मिल गया है,
नेट का खर्च बढ़ गया है, चश्मा चढ़ गया है
हाथों, अंगुलियों और गर्दन का रोग बढ़ गया है
खेलना घट गया है, दौड़ना बहुत घट गया है
हर दूसरा आदमी बेसब्र हो गया है
कभी भारत विश्व गुरु रहा है
नालंदा तक्षशिला विश्व विद्यालय यहीं रहा है
आज भारतीय क्या कर रहा है
पश्चिम से सीख रहा है
दारू हर जगह बढ़ गया है,
हों कई कमसिन महिला मित्र
सिगरेट का धुआँ फेफड़ों में भर गया है
पार्टियों का चलन बढ़ गया है
आदमी बहुत बैचेन हो गया है
हर किसी में गुस्सा बढ़ गया है,
आदमी खुद से कट गया है
मन का संतोष खो गया है
हर दूसरा आदमी बेसब्र हो गया है
दुकान से सामान लाना, बहुत कम हो गया है
सब कुछ आनलाइन रिटेल से आने लगा है
खाने से आटा घट गया है, ब्रेड घर में घुस गया है
साग - सब्जी सलाद से हट गया है
मौसमी फल खाने से, आदमी पीछे हट गया है
दलिया कहीं गुम गया है, कार्नफ्लेक्स आ गया है
दूध हट गया है, चाय का चलन बढ़ गया है
शरीर में शुगर बढ़ गया है
मंहगाई बहुत चढ़ गया है
बजन बढ़ गया है, आलस्य चढ़ गया है
आदमी बहुत बेसब्र हो गया है
जीवन में कमाया जो, इलाज में खो गया है
आदमी खुद का दुश्मन हो गया है
आलस्य छा गया है, बजन बढ़ गया है
बीपी चढ़ गया है, हर जोड़ हिल गया है
आदमी बहुत बेसब्र हो गया है
पाश्चात्य में शाकाहार बढ़ गया है
वहाँ लोग सनातनी हो रहे हैं
हिन्दू संस्कृति अपना रहे हैं
मन की शांति खोज रहे हैं
हम यहाँ विधर्मी हो रहे हैं
ऐ भारतीय तुझे क्या हो गया है
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 23 फरवरी 2023 ,©
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