#H064
अहसास ( Realization)
मन में अंकुर फूट रहा है
दिल में कुछ आग लग रही है
पता नहीं क्या हो रहा है
कोई अच्छा क्यों लग रहा है
काम में मन न लग रहा है
अभी उम्र बाली है
सब हरा दिख रहा है
हो कोई चाहने वाला
ऐसा मन सोच रहा है
मन में अंकुर फूट रहा है
समय बदल गया है अब
प्यार का इजहारे सलीका
बाजार ने बदल दिया है
इक सच्चे अहसास को
दिखावा बना दिया है
कोई चाकलेट खरीद रहा है
तो कोई मंहगा उपहार खरीद रहा है
ये वैलेंटाइन डे से ज्यादा
मिलियन सैलिंग डे बना दिया है
फिर भी मन में अंकुर फूट रहा है
मैं हूँ अपने माँ वाप के प्यार की निशानी
प्यार एक एहसास है, जो न है मोहताज
चढ़़ती उम्र का और न ढलते हुस्न का
यह वो अहसास, जो रहे मरते दम तक
प्यार करो इजहार करो
न तुम किसी का तिरस्कार करो
न नशा करो न युद्ध करो
वासना और प्यार का फर्क समझो
वासना तो उम्र के साथ ढल जाती है
जिससे करो तो जीवन भर करो प्यार
जैसे राधा ने किया किशन से
हीर ने रांझे से, लैला ने किया मजनू से
मीरा ने कृष्ण से, यशोदा ने किया कन्हैया से
श्रवण ने अपने माता पिता से
लक्ष्मण ने राम से, राम ने दशरथ से
सती सावित्री ने सत्यवान से
बहन का भाई से, सीता ने राम से
जीवन भर करो , प्यार निःस्वार्थ करो
प्यार केवल पाने नाम नहीं है
प्यार देने का नाम है
अब भी मन में अंकुर फूट रहा है
जीवन के लिए प्यार चाहिए
कोई घर आने वाला चाहिए
घर पर कोई इन्तजार करने वाला चाहिए
वरना प्यार क्या है पूछो
किसी बिछड़े हुए भाई से
सूनी हुई कलाई से, सूनी मांग से
जंग में न जाने लायक जख्मी सिपाही से
कभी न मरने वाला अंकुर मन में फूट रहा है
तुम न बदलना किसी के लिए
तभी प्यार करना सदा के लिए
प्यार केवल पाने का नाम नहीं है
प्यार देने का नाम है सदा के लिए
मन में अंकुर फूट रहा है सदा के लिए
देवेन्द्र प्रताप
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