#H059
अविश्वास (Distrust)
अविश्वास के साथ तुम जीते हो।
सुख चैन से नहीं रह पाते हो।
हर किसी से धौखे की उम्मीद लगाते हो।
अपनी टीम नहीं बना पाते हो।
और पीछे रह जाते हो।
घर दफ्तर दोनों में कट जाते हो।
अपने भी बेगाने हो जाते हो।
छोटी छोटी चीजों पर संदेह जताते हो
सनकी जैसे हो जाते हो।
कब कौन धौखा दे दे, सौचकर,
अपना सुख चैन खो जाते हो।
विश्वास करो, पर निगरानी रखो।
जांचों परखो, तभी बढ़ते जाओ।
विश्वासघात मिले, अगर तुम्हें,
सबक लो, और आगे बढ़ते जाओ।
वरना एक सच्चा साथी पा़ओ।
अच्छी टीम बनाओ।
यह परख जितना जल्दी होता है।
वही फायदे का सौदा है।
अविश्वास से बैहतर है विश्वासघात खाना,
हमें, सबक दे कर जाता है।
अविश्वास तो सुख चैन, सब खा जाता है
सभी पर विश्वास करो।
और आगे बढ़ो, चलते जाओ।
टीम में तुम्हें विश्वास हो जाता है।
तुम्हें टीम में विश्वास हो जाता है।
फिर लक्ष्य कदमों में आ जाता है।
यह सबको जीवन में विजयी बनाता है।
अपनों से भी ज्यादा समझ बिठाने लगता है।
सुख चैन जीवन में रह जाता है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 जनवरी 2024, ©
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