#H058
स्वाद (Taste)
कोई चखे तो नमकीन कहे।
कोई चखे तो मीठा बोले।
कोई कहे इसको खट्टा।
कभी कभी कढ़वा भी निकले।
तीखा जब भी निकले,
मुंह से निकले मर गये
या फिर निकले वाह।
कुछ समझ न आये
तो फिर फीका बोले।
स्वादिष्ट बने तो
स्वादू बोले, और लेकर आओ।
धीरे - धीरे खाते जाओ।
हद से ज्यादा, तुम खा जाओ।
अगर बना बेस्वाद ,
थाली को फिर दूर हटाओ।
अगर स्वाद के चक्कर में,
तरह तरह व्यंजन खाते,
फास्ट फूड्स को घर में लाते।
लम्बे समय तक ज्यादा खाते।
जल्दी ही फिर वजन बढ़ाते।
जिसको फिर कम न करपाते।
मुश्किलों को फिर गले लगाते।
बीपी, शुगर को मुफ्त में पाते।
ये साथ कई और साथी भी लाते।
फिर दौड़ न पाते।
जल्दी से थक जाते।
धीरे - धीरे अपना मनोबल गिराते।
अनिष्ट होने की आशंका भी जताते।
डाक्टर से फिर मिलने जाते।
जांच कराते, दवा हैं खाते।
डाक्टर चलने - फिर ने को बतलाते।
खाने पर अंकुश लगवाते।
फिर स्वाद का मजा, हम न ले पाते।
इसलिए "नासमझ" ये गुहार लगाते,
खाने पर नियंत्रण रखो।
ताजा खाना ही तुम खाओ।
स्वाद के चक्कर में,
अपना जीवन नहीं गंवाओ।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 08 जनवरी 2024, ©
रेटिंग 9.4/10