दिवस नहीं, दिशा बदलें
काट कर जंगल और खेतों को
कम्पनियों को लगा दिया।
नये शहरों को बसा दिया।
जोर शोर से प्रचार किया
कंक्रीट का जंगल बसा दिया।
हमने विकास कर दिया।
मंत्री और साहेब जी ने
"पर्यावरण दिवस" पर
एक पेड़ लगा दिया।
एक नया नारा दिया।
और जनता का
आत्मविश्वास बढ़ा दिया।
पेड़ों से ज्यादा
सड़कों, दीवारों पर
"पर्यावरण दिवस" का
पोस्टर लगा दिया।
खुद से पूछों
क्या सच में प्रकृति को बचाया।
या फिर पर्चों में खुद छपा लिया।
हमने नदियों और नालों को
बरसों से दूषित और बन्द पाया।
तालाबों को सूखा ही पाया।
भूजल का स्तर घटता पाया।
कितने दिवस और मनाएंगे ?
जब नदियों, नालों, तालाबों और पार्कों को
साफ, सुथरा, बहता हुआ पाएंगे।
तभी पर्यावरण को बचा पाएंगे।
अब दिवस नहीं, दिशा बदलें।
चलो प्रकृति ओर कदम बढ़ाएं।
रणनीतिक योजनाएं बनाएं।
पर्यावरण को सच में स्वच्छ बनाएं।
अपनों का भविष्य बचाएं
बच्चों से आंखें मिलाने का दम जगाएं।
दिनांक 05 जून 2025,©
रेटिंग 9.5/10