#H474
वफादारी से डर तक (From Loyalty to Fear)
वफादारी की मिसाल हूॅं।
हल्की नींद में सोता हूॅं।
जासूसी के काम आता हूॅं।
पालतू भी बन जाता हूॅं।
मालिक के साथ सोता हूॅं।
बच्चे जैसा रखा जाता हूॅं।
गलियों में भी रहता हूॅं।
खाने के लिए यहां वहां
आता जाता रहता हूॅं।
मारकर भगाया जाता हूॅं।
रखवाली के लिए भी
घर में रखा जाता हूॅं।
छोटे, बड़े, हर कद में मिलता हूॅं।
सफेद , काले, चितकबरे रंगों
में भी पाया जाता हूॅं।
छोटे, बड़े बालों में मिलता हूॅं।
झबरा भी कहलाता हूॅं।
बहुत सारी नस्लों में मिलता हूॅं।
कभी पूंछ खड़ी
और कभी लटकी होती है।
शेरू, मोती, टाइगर, .... जैसे
नामों वाला होता हूॅं।
एक साथ कई बच्चों को जन्म देता हूॅं।
खरीदा - बेचा भी जाता हूॅं।
अनजान को देख भौंकता हूॅं।
मेरे जैसा कोई और मिले तो
बिन भौंकें नहीं रह पाता हूॅं।
कभी-कभी काट भी लेता हूॅं।
इंजेक्शन तुरंत लगाने का
कारण बन जाता हूॅं।
वरना जानलेवा बीमारी दे जाता हूॅं।
बड़ी बुरी मौत मैं मरता हूॅं।
मेरी मौत की मिसाल
लोगों में दिया जाता हूॅं।
पागल होने पर घातक हो जाता हूॅं।
आजकल कई दुखदाई घटनाओं
का कारण बन गया हूॅं।
जब मासूम बच्चों को
जान से मार दिया हूॅं।
अब तो बच्चा हो या बूढ़ा
सबको डराने लगा हूॅं।
समाचारों में आने लगा हूॅं।
मैं शर्मिंदा होने लगा हूॅं।
मालिक की जान भी लेने लगा हूॅं।
कुत्ते जैसी वफादारी
भरोसे का पर्याय बनता हूॅं।
कुत्ते जैसी नींद
सतर्कता सिखाता हूॅं।
कुत्ते की दुम
व्यवहार को दिखाता हूॅं।
कुत्ते की मौत
मारें जाने की धमकी बनता हूॅं।
मैं वफादार भी हूॅं, खतरा भी।
तेरा व्यवहार बताएगा, मैं क्या हूॅं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 जुलाई 2025,©
रेटिंग 9.2/10
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