Friday, May 23, 2025

#H445 पायदान का संघर्ष (Struggle for a Position)

#H445
पायदान का संघर्ष (Struggle for a Position)

"प्रथम" को किसी की
परवाह नहीं होती।
चाह होती है कोई
उसके आस पास न आ पाए।
इसके लिए
साम, दाम, दण्ड, भेद
सभी साधन अपनाता है,
और अपनी मनबाकर ही मानता है।

"द्वितीय" को
"प्रथम" से ईर्ष्या होती है।
जल्दी नंबर एक बनना चाहता है।
दबे कुचलों को दबाता है।
पहले सब्जबाग दिखाता है।
फिर अपने जाल में फंसाता है।
खुद को आगे बढ़ाता जाता है।

"तृतीय" को
"प्रथम" और "द्वितीय" से,
और उनके साथियों से
सदा संघर्ष करना पड़ता है।
धोखों से दो - चार होना पड़ता है।
आदर्श बनकर चलता है।
अक्सर फंस जाल में जाता है।
फिर भी प्रयास करता जाता है।
"द्वितीय" के बाद सब "तृतीय" होते हैं।

किसी को भी प्रतिस्पर्धा में
मजबूत विरोधी नहीं चाहिए।
ताकि जीत सुनिश्चित हो।
बात सदा आदर्श की करते हैं।
काम सदा पाखंड के करते हैं।
व्यक्ति ही नहीं,
देशों का भी मसला है।

काम नहीं चलता है बिन हथियार।
भाड़ में जाए दुनिया
पैसों  के लिए ही होता है व्यापार।
पैसा ही सबसे ऊपर होता है, यार।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 23 मई 2025,©
रेटिंग 9/10

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