#H437
सपनों की रेत (Sand of dreams)
मैं साइकिल सीखूंगा।
बाइक नहीं दौड़ाऊंगा।
कार भी नहीं चलाऊंगा।
ड्राइवर संग ही सफर करूंगा।
पर कार चलाना सीखूंगा।
आपातकाल में
किसी और की राह न देखूंगा।
कभी ऐसे थे, अरमान हमारे।
हकीकत से अरमानों का
कोई मेल नहीं।
जीवन इसी का नाम है।
यह कोई हमजोली संग खेल नहीं।
अरमानों की रेल नहीं।
रेत की तरह,
मुठ्ठी से फिसल जाए।
समय से महंगी कोई चीज नहीं।
अरमानों के टूटे टुकड़ों को ,
दिमाग में बिठाना ठीक नहीं।
जीवन तो बहता पानी है।
यादों में ठहरना ठीक नहीं।
अरमानों का गढ़ना,
न बन्द हो जाए।
जिन्दा रहकर, मुर्दा न बनो।
बस चलना ही
सबसे बड़ा अरमान बन जाए।
सफ़र में रुकना ठीक नहीं।
सांसें जब तक चलती हैं।
लड़ना न बन्द हो जाए।
चेहरे पर कभी मायूसी न छाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 अप्रैल 2025,©
रेटिंग 9.7/10
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