#H351
सपने में चुनाव अभियान (Election campaign in a dream)
सपने में मोदी और शाह
मेरे घर आए ।
हमने अच्छी आवभगत की,
और घर में ही ठहराए।
घर पर ही वो एकांत में बतलाए।
आगे की रणनीति बनाए।
फिर हमसे मोदी बतलाए।
इधर-उधर की गप्प लड़ाए।
मैं समझ गया,
शक है इनको, पता नहीं ।
मेरा वोट किसको जाए ?
फिर शाह मुझसे बतलाए।
वो भी इधर-उधर की बातें चलाए।
मैंने वो भी शक करते ही पाए।
तब मुझको गुस्सा आया।
मैं बोला तुम्हारा यह शक।
मेरे आत्मसम्मान को ठेस लगाए।
ऐसे में "कमल" तो न खिल पाए।
जब तुम्हें नहीं भरोसा मुझ पर,
तो यह वोट "झाड़ू" को जाए।
अगर कल राहुल भी आए।
तो शायद मेरा मत "हाथ" को चला जाए।
आज मुझे समझ आया।
यह तो सपने में भी चुनाव अभियान चलाए।
और दल ऐसा न कर पाए।
चुनाव आयोग भी ऐसे अभियान पर,
समय सीमा के बाद भी ,
रोक न लगा पाए।
अब और कोई कहाॅं तक ,
वोट के लिए अभियान चलाए।
जब घर-घर में अपने कर्मों से,
वायदों और इरादों से,
लोगों के सपने भी आए।
कुछ भूल हुई हो ऊपर
तो हमें माफ़ किया जाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 जनवरी 2025,©
रेटिंग 9/10
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