#H348
प्रभु, मैं भूलना न चाहूं। (Lord, I don't wish to forget)
प्रभु, मैं तुम्हें भूलना न चाहूं।
फिर भी भूल जाऊं ।
किसको दोष लगाऊं।
समझ ना पाऊं।
तुमको कैसे पाऊं।
बार-बार में
तुमको बिसराने की
गलती कैसे कर जाऊं।
रोज सुबह को
मंदिर में ढोक लगाऊं।
जब भी मैं थक जाऊं
बस तेरा ही
नाम जबान पर लाऊं।
मान दिया, सम्मान दिया ।
प्यार दिया, स्वाभिमान दिया।
वारिस दिया और मकान दिया।
फिर भी चाह न छोड़ पाऊं।
सदा मन में तेरा शुक्रिया जताऊं।
मन ही मन मैं तुझसे कुछ चाहूं।
पर खुल के
दिल की बात न कहना पाऊं।
समझलो प्रभु,
ऐसी उम्मीद लगाऊं।
नादान हूं मैं
जो एक मिलने पर दूजी चाहूं।
माया के मोह से निकल न पाऊं।
प्रभु, तेरी कृपा चाहूं।
अपनी गलतियों की माफी,
तुझसे चाहूं।
प्रभु, मैं भूलना न चाहूं।
फिर भी भूल जाऊं ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 जनवरी 2025,©
रेटिंग 9.5/10
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