#H343
विवाह (Marriage)
विवाह से दुनिया क्या चाहे ?
बड़ा कठिन प्रश्न है।
कोई हमें बताए।
वरना कविता लिखनी
मुश्किल हो जाए।
हर कोई वंश बेल बढ़ाना चाहे।
बुढ़ापे के लिए, एक साथी पाए।
सुख दुख में जो हाथ बंटाए।
जिस घर डोली आयी,
बस उससे अर्थी ही जाए।
कथन को सार्थक कर जाए।
एक दूजे के सम्मान की आस लगाए।
बना रहे दोनों का अभिमान।
मात-पिता दोनों के होते हैं,
परिवारों की शान।
किसी का स्वाभिमान, न टूटने पाए।
परिवार के रहन - सहन हो माना जाए।
परंपरा को अपनाकर,
परिवार को और मजबूत किया जाए।
प्यार मिले भरपूर,
कोई कहीं और ना जाए।
हाथों में हाथ बना रहे।
जब तक जिया जाए।
नोंक झोंक भी होती रहे
ताकि प्यार की बैटरी रिचार्ज होती जाए।
पर रिश्ते में अनबन न हो पाए।
जो कड़वाहट लाए।
जिसकी जिस देवी- देवता में श्रध्दा हो।
उसका ख्याल रखा जाए।
कभी ठेस न लग जाए।
नास्तिक हो तो भी स्वीकारा जाए।
जब बच्चों का निर्णय हो।
दोनों को सहमति से किया जाए।
किसी को मजबूर न समझा जाए।
बच्चों का भविष्य
बनाने का हो मजबूत मंसूब,
तभी बच्चों को दुनिया में लाया जाए।
रिश्ता विश्वास का अभेद्य जोड़ बने।
दुष्टों के सारे प्रयासों से भी ना टूट पाए।
जितना धन अर्जन हो।
उसमें खुश रहा जाए।
कैसे घर चले,
मिलकर निर्णय किया जाए।
ना किया जाए कोई मजबूर।
जैसी हैसियत,
उतनी ही चद्दर फैलाई जाए।
जीवन की मजबूत नींव रखी जाए।
सर ढंकने को छत बनाने का
पूरा प्रयास किया जाए।
थोड़ा - थोड़ा धन जोड़ा जाए।
घर को साकार रूप दिया जाए।
हर साल कहीं घुमाने ले जाए।
कभी-कभी सिनेमा भी दिखाए।
जन्मदिन, सालगिरह जरुर मनाए।
तौहफा भी लेकर आए।
कौशल क्षमता बढ़ाने में साथ निभाए।
नौकरी करने पर अंकुश न लगाए।
घर के काम में भी हाथ बंटाए।
पीहर जाने पर न पाबंदी लगाए।
हारी - बीमारी में साथ निभाए।
दवा दारू भी करवाए।
अपना बीमा भी करवाए।
ऋण के बोझ तले न छोड़ जाए।
इस महंगाई में
तब ही घर चल पाए।
घर, गाड़ी, जेवर बन पाए।
संतोषी स्वभाव रिश्ते
को दूर तक ले जाए।
जितना धन दौलत हो पास में,
दोनों उसमें खुश रह पाए।
आगे बढ़ने का
मिलकर प्रयास लगाएं।
ऐसे जीवन साथी संयम से
विवाह को सफल बनाएं।
तलाक, विवाह का अंत नहीं है।
बस एक अल्पविराम लगाए।
जीवन फिर से आगे बढ़ने की आस जगाए।
कहीं गलती हुई, ऐसा अहसास कराए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 5 जनवरी 2025,©
रेटिंग 9/10
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