#H274
फिसलते अवसर (Slipping opportunities)
रेत के ढेर सा बह जायेगा
जो एक हवा का झोंका आया।
फिर केवल रेत ही रह जाऐगा।
जोश जवानी का, फिर
ठण्डा न हो पायेगा।
जब मौका ही न रह जायेगा।
तू अकेला ही खड़ा रह जायेगा।
अरमानों का खून हो जायेगा।
मौके को खत्म कर दिया जायेगा
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगा
समय की ट्रेन चली जायेगी
उम्र तेरी बढ़ती जायेगी।
तेरी बारी पर कोई और
बिठा दिया जायेगा।
कुछ आरक्षण, कुछ भ्रष्टाचार
कुछ भाई भतीजावाद,
मौकों को खा जायेगा।
तू अकेला खड़ा रह जायेगा।
तेरा सपना कब पूरा हो पायेगा।
बेरोजगार ही रह जायेगा।
तेरा भविष्य हवा में
रेत की तरह उड़ जायेगा।
अवसर कब तक
हाथों से फिसलता जायेगा।
यह भ्रष्टाचार कब काबू आयेगा।
युवाओं का जोश काम आयेगा।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 17 अक्टूबर 2024,©
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