#H078
मैं (I, Pride)
मैं ही मैं हूँ।
मैं ही सब हूँ।
तू ही तू हैं।
मैं अपनी दुनिया का रब हूँ।
कब मैं पीछ हूँ।
सब से आगे हूँ।
कब से आगे हूँ।
सच में, मैं डरपोंक हूँ।
मैं मौकापरस्त हूँ।
मैं चापलूस हूँ।
पर मैं मरने सबसे पीछे हूँ।
किसी का हक मारने में मैं,
सब से आगे हूँ।
कोई पीछे रहे या रुका रहे,
फर्क नहीं मुझे,
पर मैं सबसे आगे रहूँ।
मेरी दुनिया में बस मैं ही हूँ।
अर्श से फर्श तक आने में
एक क्षण लगता है,
जब रब ने कहा, मैं ही सब हूँ।
तब मैं कुछ नहीं हूँ,
रब ही सब कुछ है।
जब तक तू "मैं" में मस्त।
तब तक सब तेरे से त्रस्त।
रब दुनिया में व्यस्त।
रब से होगा तू भी एक दिन त्रस्त।
उस दिन सब दिखेंगे मस्त।
समझ ले "नासमझ"
इस दुनिया में "मैं" कुछ नहीं हूँ।
केवल रब के लिए ही "मैं" हूँ।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 14 फरवरी 2024, ©
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