#H066
जाटनी का धरना (Strike of wife )
जाटनी अपने जाट से बोली
मुझे "वरना" दिलवा दो।
वरना मैं धरने पर बैठ जाऊँगी।
खाना नहीं बनाऊंगी।
तुम्हें सुबह शाम तरसाऊंगी।
न माने तो, पीहर में रुक जाऊँगी
घर का सारा काम, तुमसे ही कराऊंगी।
क्या करेगी वरना से?
उसे सरपट दौड़ाऊँगी
गर्दा बहुत उड़ाऊंगी
तुम्हें बिठाकर,
गाड़ी मैं दौड़ाऊँगी।
तुम्हें गाड़ी में डराऊंगी,
सखियों को दिखलाऊंगी।
पीहर मैं ही लेकर जाऊँगी।
"वरना" रहने दे, भागवान,
ठेर सारे जेवर तुझे दिलवाऊंगा।
तेरा गला सजाऊंगा।
वैगनआर जैसी छोटी कार लेकर आऊंगा।
अपने काम लिए पैसे और बचाऊँगा।
जाटनी रुठ गयी,
जाट आ गया सकते में,
रोज रोज की चिक चिक में
बात अटक गयी क्रेटा पर।
जाटनी की हठ के आगे
हार गया, जाटनी का वरना।
अब क्रेटा ही लेकर आऊंगा।
भागवान, अब तुझको मैं मनाऊँगा।
धूल उड़ा लेना, सरपट दौड़ा लेना
बस मुझको तू हसता हुआ
मुखड़ा दिखला देना।
जो चाहे वो दिखलाऊंगा।
अब क्रेटा में तुझे बिठाऊंगा
क्रेटा चलाते तुझे निहारुंगा।
सनस्क्रीन खोलकर ,
तुझे ताजा हवा खिलाऊंगा।
तुझे खड़ाकर क्रेटा में
गाड़ी मैं चलाऊंगा।
तेरी सारी इच्छा पूरी करवाऊंगा।
तेरी शान बढ़ाऊँगा।
अब अपने वरना को गले लगा ले।
वेलेंटाइन डे पर क्रेटा ही तुझे दिलाऊँगा।
क्रेटा तुझसे चलवाऊंगा।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 15 फरवरी 2024
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