#H031
शून्यता (Zero)
फलसफा पुराना है, क्या मैंने, क्या तूने,
इस जहाँ से लेकर जाना है।
जब जीवन में, शून्यता ही आना है।
फिर क्यों घुट घुटकर, पैसा कमाना है।
पैसे के लिए, दिन रात लगाना है।
सेहत जल्दी गंवाना है। फिर पछताना है।
अपनों के प्यार को,
अभी तक, तूने नहीं जाना है।
पर अभी तक इस फलसफे को,
हमने नहीं पहचाना है।
फलसफा पुराना है, क्या मैंने, क्या तूने
इस जहाँ से लेकर जाना है ।
शून्यता को,
जीवन में क्यों जल्दी लाना है।
हंसते खेलते जीवन बिताना है।
प्यार बांटों, औरों का दर्द बांटों,
करो सैर सपाटे, जीवन सफर भर है
एक दिन सबने, इस जहाँ से जाना है।
बस हंस खेलकर,
शून्य के आगे, एक लगाना है,
जीवन रस को, दस गुना बढ़ाना है।
तब ही सफल है, तेरा इस जहाँ में आना।
मुझे शून्य के साथ,
इस जहाँ से नहीं जाना है।
फलसफा पुराना है, क्या मैंने, क्या तूने,
इस जहाँ से लेकर जाना है।
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 05 दिसम्बर 2023,©
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