#H033
मजलूम (Oppressed)
मर रहे हैं लोग वहाँ,
वेघर हो रहे हैं इंसान वहाँ,
घर बनाने में वर्षों लग जाते हैं।
एक पल में सब मिट्टी हो रहा है वहाँ।
इंसानियत वहाँ मर चुकी है।
हर तरफ तबाही का मंजर है वहाँ,
आदमी के अन्दर का शैतान,
बाहर आ गया है वहाँ।
मीडिया में एक तरफा तबाही
दिखाई जा रही है यहाँ - वहाँ।
इंसानियत मर चुकी है वहाँ।
कभी भगाए गये थे यहाँ से
उस दौर में भी बहुत बुरे हालात थे वहाँ,
आज ये ठेकेदार बन चुके हैं वहाँ,
बहुत बुरा हुआ जो हुआ है वहाँ।
जो हो रहा है, वह भी बुरा है वहाँ।
तीन धर्मों का पवित्र स्थान है वहाँ ,
तोप, बम, गोलों का मैदान,
शहर बन गया है वहाँ,
घर, स्कूल, अस्पताल जमींदोज हो रहे वहाँ,
बूढ़े, बच्चे, औरतें,
सब मर रहे हैं वहाँ।
सड़क आशियाना बन गयीं हैं वहाँ।
केवल आकाश की छत रह गयी है वहाँ।
न पानी मयस्सर है वहाँ।
न खाना मिल रहा है वहाँ।
न इलाज मिल पा रहा है वहाँ।
भविष्य तो सपने में भी नहीं है वहाँ।
आम आदमी मजलूम हो गया है वहाँ।
लोग सरहदें तोड़ने में लगे हैं वहाँ।
सब ईश्वर खोदने में लगे हैं वहाँ।
ये मंजर देखकर,
दोनों का ईश्वर भी रो रहा होगा वहाँ।
सच में इंसानियत मर चुकी है वहाँ।
तेल हावी हो गया है वहाँ।
हथियारों का व्यापार चलता रहे दुनिया में,
इसलिए डर दिखाया जा रहा है, यहाँ - वहाँ।
व्यापार सर्वोपरि हो गया है इस जहाँ में।
दिनांक 18 अक्टूबर 2023,©
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